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Tuesday, August 28, 2012

Media, Part - 1 (Dhai Aakhar Hasya Ke)

खबर थी
एक बीमार नेता ने, लंदन में
अंतिम सांस ली।
उधर यमदूत नेता को लेकर
नरक पहुंचे भी नहीं
उससे पहले-चैनल का रिपोर्टर
लंदन पहुंच गया अपनी टीम लेकर
और नेता के बेटे का इंटरव्यू लिया-

" आपको कैसा लग रहा है?"
" जी मैं कुछ समझा नहीं, क्या कैसा लग रहा है?"
" आपके पिताजी के मरने की खबर सुनकर
आपको कैसा लग रहा है?"
" जी बहुत बुरा लग रहा है।"
" अंतिम सांस लेने से पहले
उन्होंने किसी दर्द या तकलीफ की शिकायत की थी।"
" जी नहीं डायरेक्ट अंतिम सांस ली थी"
" इससे पहले भी कभी
उन्होंने अंतिम सांस ली थी?"
" जी कोशिश तो की थी
लेकिन डाँक्टरों ने लेने नहीं दी।"
" अंतिम सांस लेने के बाद क्या हुआ?"
" जी अंतिम सांस लेने के बाद वे मर गए।"
" क्या उनको पता था
कि अंतिम सांस लेने के बाद वे मर जायेंगे?"
" जी पता था।"
" जब उनको पता था
कि अंतिम सांस लेने के बाद
वे मर जायेंगे
तो उन्होंने अंतिम सांस क्यों ली?"
" जी राष्ट्र हित में ली!"
" उन्होंने राष्ट्र हित में अंतिम सांस ली,
ये आप कैसे कह सकते हैं?"
" जी मैं ऐसे कह सकता है
कि उन्होंने जो भी काम किया,
वो या तो राष्ट्र हित में किया
या पार्टी के हित किया
अगर पार्टी के हित में
अंतिम सांस लेते
तो चुनाव से ठीक पहले लेते
सहानुभूति की लहर बनती
दो-चार सीटें ज्यादा मिलती
यानि पार्टी के हित में
अंतिम सांस नहीं ली
इसका ये मतलब हुआ
कि  उन्होंने राष्ट्र हित में
अंतिम सांस ली।"

" वे लंदन क्यों आये थे?"
" जी अंतिम सांस लेने के लिए आये थे"
" वे ये अंतिम सांस
भारत में भी ले सकते थे।
इसके लिए इतना दूर क्यों आये?"
" जी राष्ट्र हित में आये।"

" आपने प्रधानमंत्री का
वो बयाँ पढ़ा है
जिसमें उन्होंने कहा है'
कि  नेताजी के जाने से
राष्ट्र का बड़ा नुकसान हुआ है।"
" जी पढ़ा है।"

" आप कह रहे हैं
कि  उन्होंने राष्ट्र हित में अंतिम सांस ली,
और प्रधानमंत्री कह रहे हैं
कि  उनके जाने से
राष्ट्र का बड़ा नुकसान हुआ है।
अब सवाल ये उठता है
कि  राष्ट्र हित में अंतिम सांस ली
तो राष्ट्र का नुकसान कैसे हुआ?
फ़ायदा होना चाहिए।
फ़ायदा हुआ है
तो कितना हुआ है?
ये प्रधानमंत्री को
बताना चाहिए।
और क्या  इस परंपरा को
आगे बढाया जाना चाहिए?
सरकारी खर्चे पर
डायलेसिस के सहारे जीवित
निकम्मे नेताओं को
राष्ट्र हित में-मरने के लिए
आगे आना चाहिये?"
" बहरहाल -
ये हैं कुछ अनसुलझे सवाल।"
वो आंधी की तरह आया
और तूफ़ान की तरह छा  गया
कुछ सवाल किये
और जवाब लिए बिना ही
ब्रेक पर चला गया।

Sunday, August 12, 2012

Ek Phadakta Hua Yugal Geet


Dal Badlu Ki Mahima



Ghazab Ho Jayega



Bhikari No 1



Vishwamitra Dwitiya...Yani Main



Aaj Ke Guru Shishya



Ghar Ki Sarkar



Bechari Sundarta


Kya Hamare Purvaj Bandar The?


Partiyaan Aur Gaaliyan



Aashiq Ki Pitaai Aur Kaviyon Ki Gawahi